उत्तराखंड

उत्तराखण्ड में Maternal Health में बड़ी सफलता: MMR में आई 12.5% की गिरावट

उत्तराखण्ड में Maternal Health में बड़ी सफलता: MMR में आई 12.5% की गिरावट

देहरादून।

राज्य ने मातृ स्वास्थ्य (Maternal Health) के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। भारत में मातृ मृत्यु (Maternal Death) पर जारी विशेष बुलेटिन के अनुसार, उत्तराखण्ड का मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) 2020–22 में जहाँ 104 था, वहीं 2021–23 में यह घटकर 91 पर आ गया है। यह विगत वर्षों में 13 अंकों की कमी और मातृ मृत्यु में 12.5 प्रतिशत की महत्वपूर्ण गिरावट को दर्शाता है।

मुख्यमंत्री की सराहना और भविष्य की दिशा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह राज्य सरकार की सुनियोजित नीतियों, स्वास्थ्यकर्मियों के अनवरत प्रयासों और सामुदायिक स्तर पर मिली सक्रिय सहभागिता का प्रत्यक्ष परिणाम है। उन्होंने मातृ स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए निरंतर प्रयास जारी रखने का संकल्प दोहराया।

सचिव ने बताई सफलता की कहानी

इस अवसर पर डॉ. आर. राजेश कुमार, सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा उत्तराखण्ड शासन ने कहा, “मातृ स्वास्थ्य हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। यह उपलब्धि हमारे समर्पित स्वास्थ्यकर्मियों, सरकारी संस्थानों और सामुदायिक भागीदारों के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है। हमारा दृढ़ संकल्प है कि मातृ मृत्यु दर को और कम किया जाए तथा प्रत्येक गर्भवती महिला को सुरक्षित और सम्मानजनक प्रसव सेवाएं उपलब्ध कराई जाएँ।”

मुख्य पहल एवं हस्तक्षेप (Key Initiatives and Interventions)

राज्य सरकार द्वारा मातृ स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें और हस्तक्षेप किए गए हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • मातृ मृत्यु निगरानी एवं प्रतिक्रिया (MDSR): प्रत्येक मातृ मृत्यु की समयबद्ध सूचना और गहन विश्लेषण के आधार पर त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है।
  • जन्म-तैयारी एवं जटिलता प्रबंधन (BPCR): गर्भवती महिलाओं और उनके परिवारों को जोखिम-चिन्हों की शीघ्र पहचान करने और आपातकालीन स्थितियों के लिए तैयार रहने हेतु प्रशिक्षित किया जा रहा है।
  • गुणवत्ता सुधार: लक्ष्य-प्रमाणित प्रसव कक्ष और मातृत्व ऑपरेशन थिएटर (OT) के विस्तार से सुरक्षित, स्वच्छ और सम्मानजनक सेवाएँ प्रदान की जा रही हैं।
  • संस्थान-आधारित प्रसव को प्रोत्साहन: जननी सुरक्षा योजना (JSY) और जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK) के प्रभावी क्रियान्वयन से निःशुल्क और समावेशी मातृ एवं नवजात सेवाएँ सुनिश्चित की जा रही हैं।
  • आपातकालीन परिवहन व्यवस्था: 108/102 एम्बुलेंस सेवाओं को सशक्त बनाया गया है और GPS आधारित रेफरल प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है।
  • पल्स एनीमिया मेगा अभियान: इस अभियान के तहत 57,000 से अधिक गर्भवती महिलाओं की हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) की जाँच की गई और स्थिति-विशिष्ट उपचार प्रदान किया गया। दूसरे चरण में, सामुदायिक स्तर पर व्यापक स्क्रीनिंग की जा रही है।
  • सामुदायिक सहभागिता: आशा (ASHA), एएनएम (ANM) और सीएचओ (CHO) के सुदृढ़ नेटवर्क के माध्यम से अंतिम छोर तक प्रसव पूर्व (ANC) और प्रसवोत्तर (PNC) सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।

स्वास्थ्य सचिव का दृढ़ संकल्प

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने पुनः इस बात पर जोर दिया कि यह उपलब्धि राज्य सरकार की मातृ स्वास्थ्य के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रमाण है। राज्य का लक्ष्य है कि कोई भी माँ रोके जा सकने वाले कारणों से जीवन न खोए और उत्तराखण्ड सुरक्षित मातृत्व (Safe Motherhood) का एक आदर्श राज्य बने।

पैरामीटर (Parameter)2020-222021-23
मातृ मृत्यु अनुपात (MMR)10491
गिरावट (अंकों में)13
गिरावट (प्रतिशत में)12.5%
गर्भवती महिलाओं की जाँच57,000+
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