देहरादून।
श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र के थलीसैण विकासखण्ड के कई गांवों में भालुओं के आतंक से ग्रामीण भयभीत हैं। भालू लगातार ग्रामीणों की मवेशियों (Livestock) को अपना निवाला बना रहे हैं, जिससे अब तक दो दर्जन से अधिक पशुओं की मौत हो चुकी है। स्कूली बच्चों और आम जनमानस की जानमाल की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए, भालू को आदमखोर (Man-eater Bear) घोषित कर अंतिम विकल्प के रूप में उसे मारने के निर्देश जारी किए गए हैं।
वन विभाग की बैठक (Forest Department Meeting) में एक्शन प्लान पर चर्चा
कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में यमुना कालोनी स्थित उनके शासकीय आवास पर वन विभाग के अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई। बैठक में गढ़वाल वन प्रभाग की पैठाणी रेंज के अंतर्गत आने वाले कुण्डिल, कुचोली, सौंठ, कठयूड़, कुठ और खण्डतल्ला गांवों में भालू के बढ़ते आतंक पर गहन चर्चा की गई। मंत्री ने अधिकारियों को इन गांवों के ग्रामीणों को भालू के भय से निजात दिलाने के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए। जनप्रतिनिधियों ने बैठक में बताया कि भालू द्वारा स्थानीय लोगों की मवेशियों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है, जिससे उनकी आजीविका पर भी संकट आ गया है।
भालू को पकड़ने (Bear Capture) के लिए बहु-स्तरीय रणनीति
बैठक में ग्रामीणों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक बहु-स्तरीय रणनीति तय की गई। निर्णय लिया गया कि सबसे पहले प्रभावित क्षेत्रों में पिंजरे (Cages) लगाकर भालू को सुरक्षित रूप से पकड़ने का प्रयास किया जाएगा। यदि यह प्रयास असफल रहता है, तो भालू को ट्रैंक्विलाइज़ (Tranquilize) करके पकड़ने की कार्यवाही की जाएगी। मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने स्पष्ट किया कि यदि सभी प्रयास नाकाम साबित होते हैं, तो ग्रामीणों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए, अंतिम विकल्प के रूप में भालू को मारने की अनुमति दी गई है। उन्होंने कहा, “ग्रामीणों और बच्चों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। जनता भयमुक्त जीवन जी सके, यही हमारा लक्ष्य है।”
प्रभावित मवेशियों का आंकड़ा:
गांव | भालू का शिकार हुए मवेशी (अनुमानित) |
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कुण्डिल, कुचोली, सौंठ, कठयूड़, कुठ, खण्डतल्ला | 2 दर्जन से अधिक |
बैठक में अपर सचिव वन सी रवि शंकर, प्रमुख वन संरक्षक (वन्य जीव) रंजन कुमार मिश्रा, वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।