लखनऊ एयरपोर्ट पर मंगलवार सुबह कूरियर के एक डिब्बे में 7 महीने का भ्रूण मिला। इसकी जानकारी कार्गो के सामान की स्कैनिंग के दौरान मिली। शव प्लास्टिक के डिब्बे में पैक था। अंदर लिक्विड भरा था।
पुलिस के मुताबिक इसे नवी मुंबई भेजा जा रहा था। इस कूरियर को हजरतगंज स्थित इंदिरा IVF हॉस्पिटल से चंदन यादव ने बुक कराया था। कूरियर एजेंट शिव बरन को CISF ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। उससे पूछताछ जारी है। डिब्बे को इंडिगो की फ्लाइट 6E 2238 से लखनऊ से मुंबई भेजा जा रहा था।
भ्रूण मुंबई की लैब लिलैक इनसाइट्स के नाम बुक था। लैब प्रबंधन ने कहा कि इंदिरा IVF हॉस्पिटल का इस शिपमेंट से कोई लेना-देना नहीं है। फ्लेबोटोमिस्ट चंदन यादव की गलती से कुरियर बदल गया।

प्लास्टिक के डिब्बे में लिक्विड में भ्रूण था।
स्कैनिंग के दौरान मिला भ्रूण लखनऊ एयरपोर्ट पर रोजाना स्टाफ कार्गो के लिए बुक होने वाले सामान की स्कैनिंग करता है। इसी दौरान प्राइवेट कंपनी का कूरियर एजेंट सामान बुक कराने आया। कार्गो स्टाफ अंकित कुमार ने उसके सामान की स्कैनिंग शुरू की।
इस दौरान एक भ्रूण डिटेक्ट हुआ। इसके बाद कार्गो कर्मचारियों ने पैकेट खोला, देखा तो प्लास्टिक के डिब्बे के अंदर मृत भ्रूण था। कार्गो कर्मचारियों ने CISF और पुलिस को इसकी सूचना दी।

यह तस्वीर कूरियर की रसीद की है।
इंदिरा IVF हजरतगंज से नवी मुंबई जा रहा था कूरियर कूरियर लखनऊ के हजरतगंज स्थित इंदिरा IVF हॉस्पिटल से चंदन यादव ने बुक कराया था। इसे नवी मुंबई के रुपा सोलिटायर प्रीमिसेस, सीओ, ओपी, एसओसी, लिमिटेड, सेक्टर-1 बिल्डिंग नंबर-1, मिलेनियम बिजनेस पार्क के पते पर भेजा जा रहा था।
एयरपोर्ट चौकी प्रभारी ने बताया कि भ्रूण को परीक्षण कराने के लिए मुंबई भेजा जा रहा था, यह जानकारी सामने आई है। हालांकि इसके संबंध में फ्लाइट से बॉडी ले जाने से जुड़े कागजात कूरियर एजेंट नहीं दिखा पाया।

ये कूरियर एजेंट का पहचान पत्र है। इसका नाम शिव बरन यादव है।

कूरियर के इस पैकेट में 7 महीने का भ्रूण मिला।
सड़क रास्ते भ्रूण भेजा जाना था सरोजनी नगर के प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि लखनऊ के दंपती ने IVF करवाया था। उनका ही भ्रूण मुंबई जांच के लिए भेजा जा रहा था। कूरियर कंपनी को यह भ्रूण सड़क के रास्ते भेजना था। गलती से इसे बाई एयर यानी कार्गो से भेजा जा रहा था।
जांच के लिए भेजा जा रहा था भ्रूण मामले में इंदिरा IVF अस्पताल प्रशासन का कहना है कि दंपती का इलाज चल रहा था। गर्भ में 7 महीने का बच्चा था, लेकिन मिसकैरेज हो गया। इससे पहले भी एक बार मिसकैरेज हुआ था। मिसकैरेज की वजह जानने के लिए भ्रूण को मुंबई भेजा जा रहा था। जिसकी जांच रिपोर्ट आने के बाद यह क्लियर हो पाता कि आखिर दूसरी बार मिसकैरेज क्यों हुआ।
कलेक्शन एजेंट ने बदल दिया कूरियर भ्रूण की जांच करने वाली लैब लिलैक इनसाइट्स का कहना है कि लखनऊ के विवेकानंद पॉलीक्लिनिक और आयुर्विज्ञान संस्थान ने एक भ्रूण सैंपल परीक्षण के लिए भेजा था। वह सैंपल हमारे कलेक्शन एजेंट चंदन यादव की गलती से इंदिरा पैथ लैब के सैंपल से बदल गया। इंदिरा पैथ लैब का इससे कोई लेना देना नहीं है। इस भूल पर हमें अफसोस है।