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लद्दाख की सरकारी नौकरियों के लिए लद्दाख के लोगों को आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार राजी

नई दिल्ली 36 मिनट पहले कॉपी लिंक केंद्र सरकार ने 31 अक्टूबर 2019 से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग राज्य बना दिया गया था। केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण लद्दाख केंद्रीय गृह मंत्रालय के सीधे नियंत्रण में आता है। लद्दाख की सरकारी नौकरियों के लिए लद्दाख के लोगों को आरक्षण देने के लिए

नई दिल्ली

केंद्र सरकार ने 31 अक्टूबर 2019 से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग राज्य बना दिया गया था। केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण लद्दाख केंद्रीय गृह मंत्रालय के सीधे नियंत्रण में आता है। - Dainik Bhaskar

केंद्र सरकार ने 31 अक्टूबर 2019 से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग राज्य बना दिया गया था। केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण लद्दाख केंद्रीय गृह मंत्रालय के सीधे नियंत्रण में आता है।

लद्दाख की सरकारी नौकरियों के लिए लद्दाख के लोगों को आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार राजी हो गई है। लद्दाख से निर्दलीय सांसद हनीफा जन ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी।

हनीफा जन ने कहा, ”केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लेह एपेक्स बॉडी (LAP) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के प्रतिनधियों के साथ बैठक की, जिसमें आरक्षण को लेकर फैसला लिया गया।

इस फैसले की डिटेल्स अगली मीटिंग में फाइनल होगी, जो 15 जनवरी को होगी। गृह मंत्रालय ने कहा कि लेह और कारगिल की अलग-अलग लोकसभा सीट पर फैसला जनगणना के बाद किया जाएगा।”

दरअसल, 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया था, जिसमें से एक लद्दाख था। इसके बाद 2 संगठन- KDA और LAP ने लद्दाख के लोगों के लिए ऑटोनॉमी की मांग की। स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण और लेह-कारगिल के लिए एक-एक संसदीय सीट की मांग के लिए कई आंदोलन हुए।

लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाने और लद्दाख में संविधान की छठी अनुसूची लागू करने की भी मांग रखी गई। सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक भी इन संगठनों से जुड़े। उन्होंने भी कई आंदोलन किए। मंगलवार की मीटिंग में पूर्ण राज्य और छठी अनुसूची पर हुई चर्चा को लेकर डिटेल्स सामने नहीं आई है।

पहाड़ी परिषदों में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मीटिंग में हनीफा जन, नित्यानंद राय के अलावा होम सेक्रेटरी गोविंद मोहन, पूर्व भाजपा सांसद थुपस्तन छेवांग, गृह मंत्रालय के अधिकारी, लेह अपेक्स बॉडी के 8 और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के 8 प्रतिनिधि शामिल हुए। मीटिंग में आरक्षण-लोकसभा सीट के अलावा 4 अन्य मांगों पर भी केंद्र सहमत हो गया।

  1. केंद्र सरकार लद्दाख की पहाड़ी परिषदों में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण देने पर भी राजी हो गई है।
  2. केंद्र सरकार उर्दू और भोटी को लद्दाख की आधिकारिक भाषा घोषित करने पर सहमति हो गई है।
  3. गृह मंत्रालय ने लद्दाख के कल्चर को बचाए रखने के लिए 22 लंबित कानूनों की समीक्षा करने पर हामी भरी।
  4. वहीं, गृह मंत्रालय ने कहा है कि लद्दाख के लोगों की जमीन से जुड़ी चिंताएं भी दूर की जाएगी।

लद्दाख को अलग लोक सवा आयोग मिलेगा या नहीं, अगली मीटिंग में फैसला होगा

मीटिंग के बाद लद्दाख से पूर्व सांसद थुपस्तन छेवांग ने कहा- हमें अलग लोक सेवा आयोग मिलेगा या फिर इसे जम्मू-कश्मीर में मिला दिया जाएगा, इस पर अगली बैठक में चर्चा होगी। लेकिन मंगलवार को हुई मीटिंग अच्छी रही। मंत्रालय के अधिकारियों ने हमारी बात सुनी।

लद्दाख से निर्दलीय सांसद हनीफा जन ने कहा- हमने गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बहुत स्पष्ट बातचीत की और युवाओं और रोजगार से संबंधित मुद्दों को उठाया। हमें आश्वासन दिया गया कि हमारी चिंताएं वास्तविक हैं और इनका हल निकाला जाएगा।

वांगचुक ने दिल्ली तक मार्च किया, 21 दिन भूख हड़ताल भी की

फोटो 26 मार्च की है, ये सोनम वांगचुक की हड़ताल का आखिरी दिन था। उन्होंने सोशल मीडिया पर बताया था कि रात का तापमान माइनस 10 डिग्री होने के बावजूद 350 लोग उनके साथ थे।

फोटो 26 मार्च की है, ये सोनम वांगचुक की हड़ताल का आखिरी दिन था। उन्होंने सोशल मीडिया पर बताया था कि रात का तापमान माइनस 10 डिग्री होने के बावजूद 350 लोग उनके साथ थे।

सोनम वांगचुक लद्दाख स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण समेत अन्य मांगों को लेकर अक्टूबर में दिल्ली तक पैदल मार्च कर चुके हैं। इस दौरान दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में भी लिया था। इसके अलावा मार्च में उन्होंने 21 दिन की भूख हड़ताल भी की थी। भूख हड़ताल खत्म करने के बाद सोनम वांगचुक ने कहा था- ये आंदोलन का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है।

आर्टिकल 370 हटने के बाद शुरू हुआ आंदोलन केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाकर पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना। लेह और कारगिल को मिलाकर लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश बना था।

इसके बाद लेह और कारगिल के लोग खुद को राजनीतिक तौर पर बेदखल महसूस करने लगे। उन्होंने केंद्र के खिलाफ आवाज उठाई। बीते दो साल में लोगों ने कई बार विरोध-प्रदर्शन कर पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा मांगते रहे हैं, जिससे उनकी जमीन, नौकरियां और अलग पहचान बनी रही, जो आर्टिकल 370 के तहत उन्हें मिलता था।

केंद्र ने मांगें मानने से इनकार किया था इस साल की शुरुआत में बौद्ध बहुल लेह और मुस्लिम बहुल कारगिल के नेताओं ने लेह स्थित एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) के बैनर तले हाथ मिलाया। इसके बाद लद्दाख में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन और भूख हड़ताल होने लगीं।

केंद्र ने मांगों पर विचार करने के लिए एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया। हालांकि, प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत सफल नहीं हुई। 4 मार्च को लद्दाख के नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और बताया कि केंद्र ने मांगें मानने से इनकार दिया है। इसके दो दिन बाद वांगचुक ने लेह में अनशन शुरू किया था।

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