उत्तराखंड

सोनिया शर्मा हुई रुड़की में मेयर प्रत्याशी तो बना रहेगा बड़ी राजनीति का क्रम –

भाजपा-कांग्रेस के लिए बन सकती हैं बड़ी चुनौती

रुड़की। मेयर प्रथम नागरिक होता है। इस पद का रुतबा, रसूख और गरिमा बहुत बड़ी होती है। अगर लोगों के ध्यान हो तो पिछले बरसों में देहरादून में होने वाले हर राजनीतिक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ निवर्तमान देहरादून मेयर सुनील गामा अव्वल सफ़ में दिखाई देते थे। ऐसे में अगर मेयर पद पर व्यापक सोच वाला व्यक्ति बैठा हो तो महानगर में बहुत कुछ हो सकता है; वह सबकुछ हो सकता है जो सामान्य तौर पर कल्पना में भी न हो। ऐसा रुड़की के साथ भी हो सकता है। यह कमाल की बात है रुड़की में मेयर चुनाव को लेकर राजनीति हमेशा बहुत उच्च स्तरीय हुई लेकिन परिणाम बहुत निम्न स्तरीय सामने आए।

बहरहाल, मेयर चुनाव के महत्वकांक्षाओं के बीच अब खानपुर विधायक उमेश कुमार ने अपनी पत्नी सोनिया शर्मा को मेयर चुनाव की राजनीति में इंट्रोड्यूस कराया है। सोनिया शर्मा 2024 से पहले एक बार संसदीय चुनाव के प्रति भी आसक्त दिखाई दी थी। तब वे बसपा में भी गई थी और हरिद्वार संसदीय क्षेत्र की प्रभारी भी रही थी। तब उन्होंने जनता के साथ भी सरोकार कायम किए था और एक दबंग, एक डिसेंट लेडी की पहचान हासिल की थी। लेकिन फिर उमेश कुमार ने उन्हें विदड्रॉ कर लिया था और खुद लोकसभा चुनाव लड़ा था। पत्रकार रहते उमेश कुमार ने हरीश रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत दोनों को ही सताया था, दोनों से रंजिश मोल ली थी इसलिए यह तो कहा नहीं जा सकता कि लोकसभा चुनाव में वे इन दोनों में से किसी एक की जीत के लिए लड़े थे। व्यवहार तो यही कहता है कि वे अपने लिए ही लड़े थे लेकिन यह भी नहीं कहा जा सकता कि उन्हें किसी ने नहीं लड़ाया था! तर्क बुद्धि यही कहती है कि कोई तो उनके पीछे था जिसने 15 दिन के चुनाव अभियान में पहले उन्हें श्योर विन और अंत में श्योर लूज प्रत्याशी बनाया था। यही स्थिति अब मेयर चुनाव में है। सोनिया शर्मा को धमक को शुरुआती दौर में कोई हल्के में नहीं ले रहा है क्योंकि सब जानते हैं कि हरीश रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ उमेश कुमार की रंजिशें अब भी बरकरार हैं। दूसरी सच्चाई यह है कि चाहे कुछ हो जाए लेकिन यह भी तय है कि चुनाव में भाजपा, भाजपा से और कांग्रेस, कांग्रेस से ही लड़ेंगे। तब कौन किसे जिताएगा और वास्तव में कौन जीतेगा, यह देखने वाली बात होगी। लेकिन यह तय है कि मेयर चुनाव में राजनीति उच्चस्तरीय ही होगी।

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