हरिद्वार
हरिद्वार जिले के पथरी क्षेत्र में एक बार फिर बाल विवाह की सूचना ने प्रशासन को हरकत में ला दिया। ग्राम भुवापुर चमरावल में एक नाबालिग लड़के और लड़की की शादी की तैयारी की खबर मिलते ही अफसरों ने तुरंत कदम उठाया। इस मामले में बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) बहादराबाद द्वितीय वर्षा शर्मा ने कमान संभाली और त्वरित कार्रवाई के लिए संबंधित विभागों को निर्देश जारी किए। इसके बाद फेरूपुर चौकी पुलिस, चाइल्ड हेल्पलाइन की नीलम चौहान और बाल कल्याण समिति के सदस्य नोमान की संयुक्त टीम ने मोर्चा संभाला।

परिवारों को दी कानून की जानकारी
टीम ने गांव पहुंचकर दोनों परिवारों से गहन बातचीत की। उन्हें बाल विवाह निषेध कानून के बारे में विस्तार से बताया गया। अधिकारियों ने समझाया कि नाबालिगों की शादी न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि इससे बच्चों का भविष्य भी दांव पर लग सकता है। टीम की सख्ती और समझाइश का असर हुआ। लंबी चर्चा के बाद दोनों परिवारों ने लिखित तौर पर सहमति जताई कि वे बच्चे और बच्ची के बालिग होने तक शादी को टाल देंगे।
बच्चों को दिखाया उज्ज्वल भविष्य का रास्ता
इसके साथ ही नाबालिग लड़के और लड़की की अलग-अलग काउंसलिंग भी की गई। उन्हें उनके अधिकारों, शिक्षा के महत्व और भविष्य की संभावनाओं के बारे में जागरूक किया गया। काउंसलिंग में बताया गया कि कम उम्र में शादी उनके स्वास्थ्य, पढ़ाई और मानसिक विकास को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है। बच्चों को यह समझाने की कोशिश की गई कि शिक्षा ही उनके जीवन का असली आधार बनेगी।
इसके साथ ही नाबालिग लड़के और लड़की की अलग-अलग काउंसलिंग भी की गई। उन्हें उनके अधिकारों, शिक्षा के महत्व और भविष्य की संभावनाओं के बारे में जागरूक किया गया। काउंसलिंग में बताया गया कि कम उम्र में शादी उनके स्वास्थ्य, पढ़ाई और मानसिक विकास को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है। बच्चों को यह समझाने की कोशिश की गई कि शिक्षा ही उनके जीवन का असली आधार बनेगी।
ग्राम प्रधान और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का सहयोग
इस पूरी कार्रवाई में ग्राम प्रधान के अलावा विभागीय सुपरवाइजर नीलम और गीतिका, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ललिता और बृजेश ने भी अहम भूमिका निभाई। टीम के सामूहिक प्रयासों से न सिर्फ शादी रुकवाई गई, बल्कि गांव में जागरूकता का संदेश भी पहुंचाया गया। सीडीपीओ वर्षा शर्मा ने कहा कि प्रशासन बच्चों के अधिकारों और उनके बेहतर भविष्य के लिए हर वक्त सजग है। उन्होंने लोगों से अपील की कि अगर कहीं बाल विवाह की खबर मिले, तो फौरन सूचना दें, ताकि समय रहते कदम उठाया जा सके।
इस पूरी कार्रवाई में ग्राम प्रधान के अलावा विभागीय सुपरवाइजर नीलम और गीतिका, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ललिता और बृजेश ने भी अहम भूमिका निभाई। टीम के सामूहिक प्रयासों से न सिर्फ शादी रुकवाई गई, बल्कि गांव में जागरूकता का संदेश भी पहुंचाया गया। सीडीपीओ वर्षा शर्मा ने कहा कि प्रशासन बच्चों के अधिकारों और उनके बेहतर भविष्य के लिए हर वक्त सजग है। उन्होंने लोगों से अपील की कि अगर कहीं बाल विवाह की खबर मिले, तो फौरन सूचना दें, ताकि समय रहते कदम उठाया जा सके।
कानून सख्त, फिर भी जारी है प्रथा
सीडीपीओ वर्षा शर्मा ने बताया कि बाल विवाह निषेध कानून के मुताबिक, 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के की शादी गैरकानूनी है। इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों में यह कुरीति अब भी देखने को मिलती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस कुप्रथा को खत्म करने के लिए सरकार और सामाजिक संगठनों को मिलकर लगातार जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। प्रशासन का यह कदम न सिर्फ एक शादी को रोकने तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज में बदलाव की शुरुआत का संकेत भी देता है।
सीडीपीओ वर्षा शर्मा ने बताया कि बाल विवाह निषेध कानून के मुताबिक, 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के की शादी गैरकानूनी है। इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों में यह कुरीति अब भी देखने को मिलती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस कुप्रथा को खत्म करने के लिए सरकार और सामाजिक संगठनों को मिलकर लगातार जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। प्रशासन का यह कदम न सिर्फ एक शादी को रोकने तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज में बदलाव की शुरुआत का संकेत भी देता है।